रायपुर/03 नवंबर 2018। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया के बयान पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि नरेद्र मोदी ने 2013 में कहा था कि माओवादी हमारे ही लोग है। गौरव भाटिया में यदि साहस हो तो पहले नरेन्द्र मोदी जी से जवाब तलब करें, फिर कांग्रेस के बयानों पर टिप्पणी करें। यदि मोदी और रमन माओवाद को खत्म करने में वाकई में लगे है तो 2003 में दक्षिण बस्तर में तीन सीमावर्ती ब्लाकों तक सीमित माओवाद ने रमन सिंह जी के गृह जिले कवर्धा और निर्वाचन जिले राजनांदगांव सहित प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में कैसे ले लिया?
माओवाद के छत्तीसगढ़ में हुये विस्तार के लिये रमन सिंह के 15 वर्ष के कुशासन और साढ़े चार साल के नरेन्द्र मोदी के कुशासन को जिम्मेदार ठहराते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस के तो विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल, योगेन्द्र शर्मा, अभिषेक गोलछा, अल्लानूर भिडसरा, गोपी माधवानी जैसे नेताओं के शहादत माओवादी हमले में हुयी।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जब-जब कांग्रेस पार्टी द्वारा जीरम कांड की आवाज उठाई जाती है तब-तब मुख्यमंत्री रमन सिंह जी घबरा जाते है और घबराहट में जीरम कांड के बाद अपने उस पहले बयान को भी भूल जाते है, जिसमें उन्होने घटना में हुई चूक को स्वीकार किया था। वह चूक क्या थी और किसके इशारों पर की गयी थी? इस रहस्य का खुलासा रमन सिंह जी से छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है?
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया द्वारा कांग्रेस नेताओं की शहादत पर कीचड़ उछालने के प्रयत्नों की कड़ी निंदा करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने चुनौती दी है कि भाजपा के किन-किन शीर्ष नेताओं की माओवादियों से लड़ने में शहादत हुयी है, गौरव भाटिया नाम बतायें या फिर अपनी स्तरहीन बयानबाजी के लिये जीरम के शहीदों के परिवारों के साथ-साथ प्रदेश की जनता से क्षमा याचना करें।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यह छत्तीसगढ़ में जनधारणा है कि जीरम घाटी की घटना रमन सिंह और उनके सहयोगियों की साजिशों का परिणाम है। पूरा छत्तीसगढ़ मानता और जानता है कि भाजपा की सरकार और भाजपा के राजनैतिक सहयोगी दल जीरम की घटना के गुनाहगार है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जिस दिन जीरम घाटी में शहीद विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, उदय मुदलियार, महेन्द्र कर्मा, योगेन्द्र शर्मा, अभिषेक गोलछा, अल्लानूर भिंडसरा, गोपी माधवानी की शहादत की घटना हुयी उसी दिन कांग्रेस ने कहा था कि यह आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र है। जीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को आज 5 वर्ष हो गये। आज तक जीरम के अपराधी खुलेआम घूम रहे है। चिंता की बात यह है कि रमन सिंह की सरकार ने अभी तक झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकड़ने की बात तो दूर पहचानने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किये है। जीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार रमन सिंह सरकार के नोडल ऑफिसरो ने बाधा डाली और मोदी सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गयी। एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी, कोई खुलासा नहीं हुआ। जीरम की जांच के लिये बने न्यायिक जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है। दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।